सुसमाचार का प्रचार
सुसमाचार का प्रचार होता है जब एपीसी के प्रत्येक विश्वासी उन सारे लोगों को सुसमाचार सुनातें हैं जिनके संपर्क में वह आते हैं, चिन्हों और चमत्कारों के साथ। यह हमारी सुसमाचार प्रचार करने की रणनीति है : सुसमाचार का प्रचार करो और परमेश्वर के सामर्थ्य का प्रदर्शन करो चंगाई, छुटकारा, आश्चर्य और अलौकिक कार्यों से। इसीलिए हमारा लक्ष्य यही है की एपीसी में विश्वासियों को सज्जित करें ताकि वे यीशु मसीह के संदेश का प्रचार करके उनके सामर्थ्य और महिमा को प्रकाश करें जिससे लोगों की जरूरत अलौकिक रूप से पूरी हो जाए।
यही रणनीति प्रभु यीशु ने अपने 12 चेलों को दिया था जब उन्हें उन्होंने भेजा था (मत्ती 10:1,7,8), जब उन्होंने 70 चेलों को भेजा था (लुका 10:1,9) और यही आज्ञा प्रभु ने प्रत्येक विश्वासियों को दिया है (मरकुस 16:15-18)। उन्होंने अपने चेलों से कहा था की नए चेलों को वह सारू शिक्षा दें जो उन्होंने उन्हे सिखाया था (मत्ती 28:18-20), जिसमे सामर्थ्य के साथ सुसमाचार प्रचार करने की रणनीति भी शामिल है। ठीक इसी रीति से पहली कलीसिया सुसमाचार का प्रचार किया करते थे जिसका बर्णन पेरितों के पुस्तक में है।
हम जानते हैं की प्रत्येक लोग शिक्षित या अशिक्षित, धनी या दरिद्र, गाव या शहर जरूर सुसमाचार का प्रतिक्रिया देंगे अगर उसे परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ्य के साथ प्रदर्शन किया जाए। निकोडीम जो की यीशु के समय के एक धर्म के शिक्षक थे यीशु के पास आए थे क्युकी उन्होंने इस बात को पहचाना की कोई भी ऐसे आश्चर्य कार्य नहीं कर सकता अगर परमेश्वर उसके साथ ना हो तो (यहन्ना 3:1-2)। एक रोमिओ शतपती जो की एक महत्वपूर्ण वक्ती था उसने यीशु के आत्मिक अधिकार को समझते हुए अपने दास के चंगाई के लिए यीशु के पास आए थे (मत्ती 8:1-13)। यीशु मसीह अपेक्षा करते थे की पूरा शहर पश्चाताप करे उनके पराक्रमी कार्यों के प्रतिक्रिया में (मत्ती 11:20-26)। जैसा की हम प्रेरितों के पुस्तक में देखते हैं, पहली कलीसिया ने परमेश्वर के सामर्थ्य से धर्म गुरुओं, राज्यपालों, अध्यात्मवादियों, बुद्धिजीवियों और बहुतों को प्रभावित किया।
सुसमाचार का प्रचार जो एपीसी करता है वह स्पर्श-बिंदु या अवसर हैं जहां हम अपने आस-पास के लोगों के साथ अंतराफलक कर सकते हैं। हमारा सबसे बड़ा सुसमाचार प्रचार का कार्यक्रम एपीसी में हर विश्वासी है जो कहीं भी, कभी भी सुसमाचार साझा करते हैं और चंगाई, छुटकारा और आश्चर्य कार्यों के माध्यम से परमेश्वर के सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हैं।