बाइबल हमें यह कहानी बताती है कि कैसे हम पाप और विद्रोह में परमेश्वर से दूर भटक गए, और परमेश्वर अपने अपार प्रेम में स्वयं हमें वापस अपने पास लाने आए। हमें अपने पास लाने के लिए, वह हमारे समान मनुष्य बन गए। वह हमारे संसार में आए। उन्होंने यह हमारे लिए किया। उन्होंने यह सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे कारण किया। वह वैसे बन गए जैसे हम थे, ताकि हम वैसा पा सकें जैसा वह रखते हैं! इस दिव्य विनिमय में, जिसे स्वयं परमेश्वर ने योजनाबद्ध और पूरा किया, प्रभु यीशु मनुष्य बनकर हमारी जगह खड़े हुए, ताकि हम पिता के सामने उनकी जगह पर खड़े किए जा सकें। उन्होंने हमारी जगह लेने का चुनाव किया। यह दिव्य विनिमय यीशु मसीह के क्रूस पर हुआ। क्रूस ऐसा क्षण था, जब परमेश्वर ने मनुष्य की जगह ले ली, और उसने वह सब अपने ऊपर ले लिया जिसका दंड हमें मिलना चाहिए था, ताकि हम वह सब पा सकें जिसके हम योग्य नहीं थे।
इस दो-भाग के उपदेश श्रृंखला में, हम उन कई दिव्य विनिमयों को खोजते हैं जो क्रूस पर हुए। हम देखते हैं कि कैसे प्रत्येक दिव्य विनिमय हमारे दैनिक जीवन को बदल देता है। यह एक सामर्थी श्रृंखला है जिसे आप बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहेंगे!
उनकी मृत्यु के द्वारा हमें अनन्त जीवन मिला।
उन पर दोष डाले जाने से हम क्षमा किए गए।
उनको पाप बनाया गया, ताकि हम धर्मी ठहराए जाएँ।
उनके शापित होने से हम आशीषित हुए।
उनके दोषी ठहराए जाने से हमें अनुग्रह मिला।
उनके त्यागे जाने से हम दत्तक (परमेश्वर के पुत्र) बनाए गए।
उनकी मारों के द्वारा हम चंगे हुए।
उनके दण्ड से हम सम्पूर्ण बनाए गए।
उनको लज्जित किए जाने से हमें महिमा मिली।
उनकी दासता के द्वारा हमें अधिकार व प्रभुत्व मिला।
उनके पाताल में उतरने से हम स्वर्ग में उठाए और बैठाए गए।
उनकी दरिद्रता से हम धनी बनाए गए।
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