मानसिक स्वास्थ्य का संबंध इस बात से है कि आपकी आत्मा – यानी आपका मन, इच्छा और भावनाएँ – कैसी स्थिति में हैं। इसका सीधा संबंध आपकी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक भलाई से है। अच्छी मानसिक स्वास्थ्य होना, आत्मा में स्थिरता, भलाइ और पूर्णता का होना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस बात को प्रभावित करता है कि हम कैसा महसूस करते हैं, कैसे सोचते हैं, और कैसे व्यवहार करते हैं। यह हमारे जीवन जीने के तरीके, दूसरों से संबंध बनाने, चुनौतियों का सामना करने, कठिन परिस्थितियों को संभालने और शिक्षा, कार्य आदि जैसी ज़िम्मेदारियों को निभाने के तरीके को भी प्रभावित करता है।
जब हम मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, तो हम जीवन का आनंद ले सकते हैं, अर्थपूर्ण संबंधों का आनंद ले सकते हैं, कार्य का आनंद ले सकते हैं, जीवन की चुनौतियों को पार कर सकते हैं, उत्पादक बन सकते हैं, अपने पूरे सामर्थ्य की ओर बढ़ सकते हैं और अपने आस-पास के लोगों में सार्थक योगदान दे सकते हैं।
वास्तविकता यह है कि हम सभी अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक भलाई से संबंधित चुनौतियों का सामना करते हैं। उन कठिनाइयों को पहचानने, सहायता प्राप्त करने और उन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को सकारात्मक तरीके से संबोधित करने में कोई बुराई नहीं है।
इस उपदेश में हम सीखते हैं कि अपने मन में आने वाले विचारों पर कैसे नियंत्रण रखें। हम यह सीखते हैं कि गलत विचारों, तर्कों, कल्पनाओं को कैसे अस्वीकार करें और उन गढ़ों (strongholds) को कैसे तोड़ें जो शत्रु ने हमारे मन में बना दिए हैं, उन हथियारों का प्रयोग करते हुए जो परमेश्वर ने हमें दिए हैं।
इस उपदेश श्रृंखला में हम आत्मा को प्रशिक्षित करने और विकसित करने के लिए बाइबिल आधारित दृष्टिकोण को खोजते हैं, ताकि हम अच्छी मानसिक स्वास्थ्य बनाए रख सकें, अपने मन में स्थिरता, भलाइ और पूर्णता के साथ जी सकें, और एक स्वस्थ, सकारात्मक मानसिकता के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
भाग 1: "मन, कल्पना और मानसिक स्वास्थ्य"
भाग 2: "एकाग्रता, विकर्षण और भटकाव" पर चर्चा करते हैं।
भाग 3: हम समझने की कोशिश करते हैं कि "प्रलोभन, लत, धोखा" कैसे कार्य करते हैं और इन्हें कैसे पार करें।
भाग 4: हम सीखते हैं "अपने विचारों पर नियंत्रण रखना, अपने सोचने के तरीके को प्रशिक्षित करना" ताकि हम अपनी मानसिक शक्तियों का प्रभावी रूप से उपयोग कर सकें।
भाग 5: हम "अपने मन को नया बनाना और नयी सोच विकसित करना" नामक एक महत्वपूर्ण आत्म-अनुशासन को खोजते हैं, जो हमारे जीवन के तरीके को रूपांतरित कर देता है।
भाग 6: हम सीखते हैं बाइबल आधारित तरीका "नकारात्मक विचारों पर विजय पाना", जो हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
भाग 7: हम समझते हैं "सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने" के महत्व को।